क्रिकेट में गेंदबाजों की गति मापन की तकनीक या विधि

क्रिकेट में गेंदबाजों की गति मापन की तकनीक या विधि बहुत कम लोग जानते हैं. क्रिकेट एक ऐसा खेल हैं जिसमें बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी का भी बड़ा महत्त्व हैं, क्रिकेट मैच के दौरान जब गेंदबाज बोलिंग करता हैं तो टीवी स्क्रीन पर गेंदबाजी की गति भी दिखाई जाती हैं. चाहे स्पिनर हो या तेज गेंदबाज हर बॉल के साथ गेंद की गति भी दिखाई जाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी क्रिकेट मैच में गेंदबाजों की गति को कैसे मापा जाता हैं?

अगर आप यह नहीं जानते की क्रिकेट मैचों में गेंदबाजों की गति को कैसे मापा जाता है तो इस लेख में हम आपको गेंदबाजों की गति मापन की तकनीक या विधि की जानकारी देने जा रहे हैं.

क्रिकेट में गेंदबाजों की गति मापन की तकनीक या विधि

क्रिकेट मैचों में गेंदबाजों की गति का मापन बॉल दर बॉल किया जाता हैं. क्रिकेट मैच में गेंदबाज की गति का मापन करने या गणना करने के लिए मुख्यतया 2 तकनीकों का प्रयोग किया जाता हैं. पहली तकनीक रडार गन या स्पीड गन हैं जबकि दूसरी तकनीक का नाम हॉक आई हैं. इन दोनों तकनीकों के बारें में विस्तृत जानकारी निम्नलिखित हैं.

1. गेंदबाजों की गति मापन की रडार गन या स्पीड गन तकनीक

गेंदबाजी मापन की रडार गन या स्पीड गन तकनीक की खोज साल 1947 में जॉन बाकर द्वारा की गई थी. यह क्रिया चलती बस /कार की गति का मापन करने के समान हैं. यह एक सिद्धांत पर काम करती हैं जिसे डॉप्लर प्रभाव का सिद्धांत के नाम से जाना जाता हैं. इस रडार गन या स्पीड गन में एक रिसीवर और एक ट्रांसमिटर होता हैं.

साइड स्क्रीन के पास लगी यह रडार गन या स्पीड गन क्रिकेट पिच की तरफ सुक्ष्म तरंग भेजता हैं जो पिच पर होने वाली किसी भी हलचल या गतिविधि को पकड़ लेता हैं. यहाँ से मिली सूचना को “फोटो प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर” में डाला जाता हैं जाती हुई गेंद की पहचान करके उसकी गति का पता लगाता हैं.

गेंदबाजों की गति मापन की तकनीक का नामरडार गन या स्पीड गन तकनीक
खोजकर्ताजॉन बाकर
साल1947
क्रिकेट में पहली बार प्रयोगसाल 1999
(क्रिकेट में गेंदबाजों की गति मापन की तकनीक)

गेंदबाजों की गति मापने की रडार गन या स्पीड गन तकनीक की विशेषता या फायदे

[1] क्रिकेट मैचों में गेंदबाजों की गति मापन की यह तकनीक घूमती हुई गेंद की स्पीड को भी आसानी के साथ पकड़ लेती हैं जिसकी वजह से गलती होने के चांस नहीं रहते हैं.

[2] इस तकनीक की एक खासियत यह भी हैं कि जैसे ही बॉल रडार के सामने से गुजरती हैं, यह इसको तत्काल रीड कर लेता हैं और रिजल्ट स्क्रीन पर दिखा देता हैं.

2. हॉक आई तकनीक

हॉक आई तकनीक गेंदबाजों की गति मापन की सबसे लोकप्रिय तकनीक हैं. कंप्यूटर आधारित यह तकनीक क्रिकेट के अलावा भी अन्य खेलों फुटबॉल और टेनिस में आधिकारिक तौर पर काम में लाई जाती हैं. क्रिकेट में साल 2001 से ही इस तकनीक का प्रयोग होता आ रहा हैं.

ब्रिटिश के रहने वाले डॉ. पॉल हॉकिंस क्रिकेट मैचों में गेंदबाजों की गति मापन की हॉक आई तकनीक के जन्मदाता हैं. गेंदबाजी के गतिमापन की यह एक सटीक तकनीक हैं क्योंकि इस तकनीक के द्वारा 5 मिमी की सिमा के अंदर की गणना भी आसानी से की जा सकती हैं.

गेंदबाजों की गति मापन की तकनीक का नामहॉक आई तकनीक
खोजकर्ताडॉ. पॉल हॉकिंस
क्रिकेट में पहली बार प्रयोगसाल 2001
(क्रिकेट में गेंदबाजों की गति मापन की तकनीक)

जिस तरह से गेंद फेंकी जाती हैं ठीक उसी तरह यह तकनीक उसका मापन करती हैं इसलिए यह एकदम सटीक तकनीक हैं. इसका मुख्य उपयोग ब्रेन सर्जरी और मिसाइल पर नजर रखने के लिए किया जाता हैं. इस तकनीक में कुल 6 कैमरे काम में लिए जाते हैं जो 3D में भी परिणाम दिखाते हैं.

क्रिकेट मैचों में गेंदबाजों की गति मापन की इस तकनीक द्वारा ना सिर्फ गेंद की गति बल्कि उसकी दिशा का भी अंदाजा लगाया जा सकता हैं जो एलबीडबल्यू में कारगर हैं. किसी भी बल्लेबाज को आउट या नॉट आउट देने से पहले थर्ड अंपायर इसी तकनीक का सहारा लेता हैं.

हॉक आई तकनीक की विशेषता या फायदे

[1] सटीक गति का आँकलन.

[2] एक तकनीक बॉल की दिशा और स्विंग का एक साथ आकलन करती हैं.

[3] इस तकनीक द्वारा गेंद की वैधानिकता को सुनिश्चित करते हुए गेंद की सटीक लेंथ और लाइन का मापन संभव हैं जिससे यह पता चलता हैं की गेंद किस लाइन पर गिरी और स्टंप्स पर लग रही थी या नहीं.

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